शायरियां
दूर रहकर ना शोख़ अदाओं से लुभाओ
दिल पर कितने चलते है खंज़र तुम क्या जानो
क्यूँ काफ़िर कहते हो हमे यारों
उनकी इबादत तो करता हूं
जानता नही था मैं अपनी क़ीमत
आपके बे-इंतहा प्यार ने बता दिया
इस क़दर छाई है तेरी ख़ुमारी मुझ पर
ख़ुदा से पहले तेरा नाम लेता हूं
ग़ज़लें मेरी इतनी अच्छी नही बनती अब
यानि...
दिल पर कितने चलते है खंज़र तुम क्या जानो
क्यूँ काफ़िर कहते हो हमे यारों
उनकी इबादत तो करता हूं
जानता नही था मैं अपनी क़ीमत
आपके बे-इंतहा प्यार ने बता दिया
इस क़दर छाई है तेरी ख़ुमारी मुझ पर
ख़ुदा से पहले तेरा नाम लेता हूं
ग़ज़लें मेरी इतनी अच्छी नही बनती अब
यानि...