...

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पिया की बावरी
#दूर
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
शरीर के मन मंदिर मे बस गया कोई,
रहा ना बाकी हृदय मे उनके बिना कोई,
प्रीत की लत मुझे ऐसी लागी,
मैं अपने पिया की बावरी होई,
साँझ की लालिमा गगन मे जैसे ही बिखर आई,
मै बावरी पिया की राह निहाने घर की चौखट मे आई।
जब पिया मेरे सामने आये तब मेरे होठो पर मुस्कान है छाई ।
उनके चेहरे को देख मन को मेरे एक अलग सी संतुष्टि का आभास मेरे नेत्रों ने मुझे कराई ।

written by आफरीन
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© sincere girl