...

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पुरुष
पिता , भाई , पति और प्रेमी
निभाता है एक साथ कई किरदार एक पुरुष

जिम्मेदारियों के बोझ तले
पुरुष के रूप में एक पिता
परिवार की ख्वाहिश पूरी करने की चिंता में
जिनकी जल जाती है चिता ।

काला टीका बन कर रहने वाला भाई
लड़ता - झगड़ता भी है
नाज़ - नखड़े उठाने वाला भाई
दे देता है अपने हिस्से की मिठाई ।

शुरू में तो ओहदे का
रौब दिखता है पति
बाद में साड़ी से मेल खाती
चूड़ी-फॉल लाते-लाते हो जाती इनकी दुर्गति ।

गली - गली , नुक्कड़ - नुक्कड़
मिला जातें हैं ये सर्व - गामी
परिपक्व बन कर कहलाओ तो कोई बात हो
कम उम्र में बन जातें हैं ये अबोध प्रेमी ।

सभी किरदारों को पुरुष दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं ।💐💐