...

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ज्यादा से ज्यादा एक मैसेज होगा
#डिजिटलअनुगूंज

टिंग –टिंग,
फ़ौरन दौड़ता है हांथ
उठाने को फोन ।
ज़ाहिर सी बात है
होगा आख़िर कौन ।
अरे वही न,
जिससे होती बात है,
जो तेरे साथ है।
भेजा होगा कोई संदेश,
या कोई तस्वीर,
जिसमे खुलें हो केश।
या शायद पूछी होगी हाल,
भाई कमाल,
ज्यादा से ज्यादा एक मैसेज होगा
इसमें कांपता क्यों है
क्या हिम्मत जुटाना,
अब खड़ा खड़ा सोचता ही रहेगा क्या
जल्दी से फोन उठा न।
उत्सुकता में पैटर्न ही बिगड़ जाए,
हे ईश्वर कोई इसको समझाए।
ज्यादा से ज्यादा एक मैसेज होगा
ठीक से फोन खोल न,
इतनी क्या खुशी ये हड़बड़ाहट
भाई मसला क्या है
बोल ना।
खुल गया फोन
ज़ाहिर हो गई बात,
पर ये क्या,
हावभाव से लगता है
तुझे लगा कोई आघात।
क्या सोचा था तूने
आख़िर क्या होगा,
मैने तो पहले ही कहा था
ज्यादा से ज्यादा एक मैसेज होगा।
जब भी कोई मैसेज आता
यूं भागा भागा जाता है,
फोन उठाता है
फिर उदास हो जाता है।
जाने यह क्या करतब है,
नया नया इसका ढब है।
हो गई अंधेरी रात है,
जाने क्या बात है।
पता नही क्या लिखता है,
साफ साफ नही दिखता है।
आदमी जरा सा लुक्खा है
मोबाइल के नोट्स में,
न जाने क्या क्या लिख रखा है।
फोन में पैसा भी नहीं डलवाता,
कुछ काम भी नही करता
टेलीग्राम खोल बीच बीच में
बस उंगलियों से कुछ
सरकाता रहता है,
पागल है ,
न जाने क्या क्या करता रहता है।
भविष्य में जाके वो अतीत से हारेगा
फोन में उसके एक फोटो है,
बस इतना ही जानता हूं मैं,
वो हरदम उसे निहारेगा।।

–ध्रुव💌


© हरिदास