...

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स्त्री
एक स्त्री हारती नही गैरो से
वो तो अपनो से ही हार जाती है

डराया जाता है उसे ना जाने कितनी बार
कभी समाज के नाम पर तो
कभी रिश्तेदारों के नाम पर
वो गिरती नही गैरो के सामने
वो अपने ही रिश्ते से झुक जाती है

कभी मां कभी बहन कभी बेटी
हर रिश्ते को वो बखूबी निभाती है

वो अपने कुछ नहीं चाहती
वो सारा प्यार अपनो पर लुटती है
थोड़ी सी इज्जत थोड़ा सा प्यार
थोड़ी सी बफा ही तो बस वो चाहती है
✍️priya