...

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Motivation
चलो एक परिंदा बन पूरे आसमां को लांघ आते हैं।
तोड़कर सोच के पिंजरे को रास्तों को झांक आते हैं।

बहुत कुछ छूट जाए तब भी लबों पर मुस्कान रखना,
सूरज ने साथ छोड़ा चलो चांद से रोशनी मांग आते हैं।

अपने किरदार की भी कहानी लिखेगा ये सफर हमारा,
रूठकर किनारों से चलो आज दरिया उस पार आते हैं।

कुछ रिश्तों में रहकर भी तुम उसमें अनजान ही रहोगे,
छोड़ कर इन महफिलों को चलो घर को भाग आते हैं।

सांसों में दौड़े तुम संग ये फितरत है मंजिलों की 'राही'
जो ख्वाब नींद तोड़दें आंखों को यकीनन रास आते हैं।

~~~~राही~~~~

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