...

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#पग पग #जीवनकेमायने #जिंदगीकेरंग
#पग-पग
पग -पग धरती पग -पग अम्बर
क्या कुछ नहीं है पग -पग बोलो ?
पग- पग अनिल व पग -पग सलिल
पग पग पर है बिक रहा ज़मीर !!

पल पग पर है रोना पग पग पर है टोना
पग पग ठोकरें खाता देखा है मैंने फकीर !
पग पग पर संघर्ष रत देखो मजदूर
कभी कहाँ बेच खाता है लाचारी से ज़मीर ?

पग पग पर जमीन से दूलार करता
तन निचोड़कर फसलें उगाता बच्चों
को चिंथडों में कृश तन लिपटकर !
जिने को बिलखता पल पल किसान !!

सोचो कैसे अलग होती है जीवन की तहरीर !?
पग पग पर वही जमीं, पग पग पर वही अंबर !
पग पग पर बह रहा है सर्वत्र वही समीर !
बोलो मेहनत बडी है ? या है बड़ी तकदीर !!?
© Bharat Tadvi