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खामोश रहता हूँ
काम के सिलसले में,
इतना मदहोश रहता हूँ,
कि बस अब बोलने का,
मन न करता
बस अब मैं खामोश रहता हूँ
इक डर है अंदर,
खुद को खोने का,
अपने दुख को,
छिपाने के लिए,
बहाना बनाता हूँ,
सोने का
इक डर है अंदर कि,
कहीं सपना न छूट जाए,
कहीं कुछ करने का,
इरादा न टूँट जाए
काम के सिलसले में,
इतना मदहोश रहता हूं,
बस अब बोलने का ,
मन न करता,
बस अब मैं खामोश रहता हूं
इतना मदहोश रहता हूँ,
कि बस अब बोलने का,
मन न करता
बस अब मैं खामोश रहता हूँ
इक डर है अंदर,
खुद को खोने का,
अपने दुख को,
छिपाने के लिए,
बहाना बनाता हूँ,
सोने का
इक डर है अंदर कि,
कहीं सपना न छूट जाए,
कहीं कुछ करने का,
इरादा न टूँट जाए
काम के सिलसले में,
इतना मदहोश रहता हूं,
बस अब बोलने का ,
मन न करता,
बस अब मैं खामोश रहता हूं
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