विरह वेदना
देखो बहुत सह लिया इस लम्हे विरह को
कम से कम सान्निध्यता तो बनाये रखो,
सर्वदा एक अबूझ सी आहट होती है
अब ये दूरियां अधिकतम न बनाये रखो,
टूट जाती हैं सरहदें धमनियों की सारी,
धड़कते हृदय में सामंजस्य तो बनाये रखो।।
मुझे पता है कि तुमसे बेवफाई हो नही सकती,
पर मजबूरियों के...
कम से कम सान्निध्यता तो बनाये रखो,
सर्वदा एक अबूझ सी आहट होती है
अब ये दूरियां अधिकतम न बनाये रखो,
टूट जाती हैं सरहदें धमनियों की सारी,
धड़कते हृदय में सामंजस्य तो बनाये रखो।।
मुझे पता है कि तुमसे बेवफाई हो नही सकती,
पर मजबूरियों के...