असमंजस...
सिर्फ सोचने से तो दुनिया बदल नहीं जाती है
एकता की लड़ियाँ जब तक बन नहीं जाती है
बिखरे है सभी मोती से यहाँ वहाँ, चहुँ ओर
एक डोर उन्हें जब तक पिरो नहीं जाती है
एक उम्मीद की जरूरत फिर से है मुझमें
जिसकी जिद हर बार कमाल कर जाती है
बंद आँखों से ये ख्वाब सजीव देखती हूँ मैं,
खुलते ही क्यूँ, दुनिया फिर वही हो जाती है
मूक एवम बधिर लोगो के बेइंतिहा शोर में,
ना जाने क्यूँ, मेरी आवाज गुम सी हो जाती है
© * नैna *
एकता की लड़ियाँ जब तक बन नहीं जाती है
बिखरे है सभी मोती से यहाँ वहाँ, चहुँ ओर
एक डोर उन्हें जब तक पिरो नहीं जाती है
एक उम्मीद की जरूरत फिर से है मुझमें
जिसकी जिद हर बार कमाल कर जाती है
बंद आँखों से ये ख्वाब सजीव देखती हूँ मैं,
खुलते ही क्यूँ, दुनिया फिर वही हो जाती है
मूक एवम बधिर लोगो के बेइंतिहा शोर में,
ना जाने क्यूँ, मेरी आवाज गुम सी हो जाती है
© * नैna *