...

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गजल
रात का सफर अकेले शुरू होता है
बियाबां में भी कहकशां होता है

जुगनुओं की मानिंद चमक उठते हैं
उसके खयालों से उजाला होता है

खुद की परछाई नजर नहीं आती
मुसाफिर कितना अकेला होता है

कोई साथ दे,या ना दे 'आकाश'
मुसाफिर अपनी रहगुजर का होता है

© ⚡आकाश⚡