...

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प्यार भरे उस हर एक पल को
ममता भरी गोद में बैठकर, मैने इस दुनिया को निहारा है,
माँ की थपकी और लोरी में, अपना सारा बचपन गुजारा है,
देखा है माँ के सुख-दुख के, अश्रु से लथपथ आँचल को,
कैसे भूल सकता हूँ मैं, प्यार भरे उस हर एक पल को।

जिनके कंधों पर चढ़कर मैनें, बुलंदियों के शिखर को चूमा है,
जिनकी खाली जेब के पैसों से, अपने सपनों को मेला घूमा है,
महसूस किया है उन सख्त-पिता और उनके निर्मल दिल को,
कैसे भूल सकता हूँ मैं, प्यार भरे उस हर एक पल को।

जिसके संग रहकर हर दिन एक नई शरारत को अंजाम दिया है,
जिसने हर पल दोस्ती की, शिरकत का पैगाम दिया है,
सुना है मैने हर लम्हा उसके, मेरे लिए खुश-खफा दिल ‌को,
कैसे भूल सकता हूँ मैं, प्यार भरे उस हर एक पल को।

तीनों प्रेमों का मेल मिला मुझे, कितना खुशनसीब हूँ मैं,
दूरियाँ बढ़ रही है फिर भी, तीनों के कितना करीब हूँ मैं,
तीनों संग जिया है, जीऊंगा, हर लम्हा, हर पल हर क्षण जीवन को,
कैसे भूल सकता हूँ मैं.. ए जिंदगी, प्यार भरे तेरे हर एक पल को।


© Utkarsh Ahuja