कोरोना के डर से
कोरोना के डर से सबके दिल से
ये आह निकल रही है
शुरू होती थी धड़कन से जो जिन्दगी
आज वो साँसों पर थम रही है
कोई खो रहा है मानवता को अपनी
तो कहीं पर दरियादिली दिख रही है
कुछ लोग भूल चुकें हैं इंसानियत को
तो कहीं पर बेबस सी मदद दिख रही है
किसी को ये बिमारी प्राकृतिक आपदा
तो किसी को मनुष्यों के बुरे कर्मों की सजा लग रही है
कोरोना के डर से सबके दिल से बस आह निकल रही है
पिछ्ले साल जो खुशी थी सबके चेहरों पर इस बार उनके भी चेहरों पर मायूसी दिख रही है
बच्चों की आँखो में डर तो
बड़ों की आँखो में आंसुओ की नमी दिख रही है
इस कोरोना के डर से सबके दिल से सिर्फ़ आह निकल रही है
कभी खेलते थे गुब्बारे...
ये आह निकल रही है
शुरू होती थी धड़कन से जो जिन्दगी
आज वो साँसों पर थम रही है
कोई खो रहा है मानवता को अपनी
तो कहीं पर दरियादिली दिख रही है
कुछ लोग भूल चुकें हैं इंसानियत को
तो कहीं पर बेबस सी मदद दिख रही है
किसी को ये बिमारी प्राकृतिक आपदा
तो किसी को मनुष्यों के बुरे कर्मों की सजा लग रही है
कोरोना के डर से सबके दिल से बस आह निकल रही है
पिछ्ले साल जो खुशी थी सबके चेहरों पर इस बार उनके भी चेहरों पर मायूसी दिख रही है
बच्चों की आँखो में डर तो
बड़ों की आँखो में आंसुओ की नमी दिख रही है
इस कोरोना के डर से सबके दिल से सिर्फ़ आह निकल रही है
कभी खेलते थे गुब्बारे...