...

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मृगज़ल सी ख़्वाहिशें
ये मृगज़ल सी ख़्वाहिशें
और मन हिरन भागता रहता है
कोई न बुझने वाली तृष्ना लिए

जितना पास जाए
बढ़ती रहती प्यास जीया की
न मिटने वाली वासना लिए

दूर से देख लगे अमृत की धारा
हाथ लगाए तो ओस की बूंदे
न खत्म होने वाली 'प्रीत' आशना लिए


© speechless words