एक बेचैनी......
© Anshika Tiwari
एक बेचैनी...
न जाने क्यों एक बेचैनी सी है,
बस गुज़र रहें है दिन और बेचैन सी रहती रात है,
कुछ उलझे हुए से हालात,
न जाने किसकी तलाश है,
खुद में ही उलझी हूं,
हजारों सवाल है? आखिर क्या सही? क्या गलत? कौन सही? कौन गलत? कौन अपना? कौन पराया?
या खुद के अस्तित्व की तलाश?
वक्त गुज़र रहा...