कुछ प्रत्याशाएँ..!
ज़िंदगी की कड़ी धूप में, प्रेम और विश्वास की छाया बनकर, घनी छाँव देना, जब मैं रूकूं, ज़रा हाथ देना, बस यही प्रार्थना ...।।
मुझे मंजिलों की तलाश नहीं, तुम्हारे साथ चल सकूं, जिन पर, वो राहें ही अज़ीज़ हैं, जब मैं...
मुझे मंजिलों की तलाश नहीं, तुम्हारे साथ चल सकूं, जिन पर, वो राहें ही अज़ीज़ हैं, जब मैं...