बेशकीमती वक्त
छोड़ दो वो पथ,
जहाँ डगमगाये उम्मीदों का रथ।
है कैसा फ़ायदा?
जहाँ मिले न क़ोई भी "क़ायदा"।
अंधेरे से ले भोर,
सुनो "हौंसलों "का ही बस शोर।
कर दे परित्याग,
"बुरे कर्म", न पीछे उनके भाग।
जिंदगी आजमाये,
वक्त रहते संभलना सिखलाये।
बेशकीमती है वक्त,
दे सीख रहिए हरकदम सशक्त।
फ़ानी मेलों से दूर,
तन्हाईयों संग कर दावतें हुजूर।
ईश्वर पे रख आस,
"गिल"न पाल व्यर्थ से आभास।
© Navneet Gill
जहाँ डगमगाये उम्मीदों का रथ।
है कैसा फ़ायदा?
जहाँ मिले न क़ोई भी "क़ायदा"।
अंधेरे से ले भोर,
सुनो "हौंसलों "का ही बस शोर।
कर दे परित्याग,
"बुरे कर्म", न पीछे उनके भाग।
जिंदगी आजमाये,
वक्त रहते संभलना सिखलाये।
बेशकीमती है वक्त,
दे सीख रहिए हरकदम सशक्त।
फ़ानी मेलों से दूर,
तन्हाईयों संग कर दावतें हुजूर।
ईश्वर पे रख आस,
"गिल"न पाल व्यर्थ से आभास।
© Navneet Gill