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मतलब और दोस्ती ☘️
मतलब को दोस्ती का लिबास इस तरह पहनाया गया
बता कर अपना मुझे गैरो की महफिल में बुलाया गया

जब तक रहा वास्ता , मुझे पलको पर बिठाए रखा
राह निकलते ही , मुझे बोझ मेरा जताया गया

गर इतना ही गैर जरूरी था मेरा होना तेरे लिए
क्यों मेरी हदों को जुर्रत तक आजमाया गया

कोई तो हद होगी तेरे इस ज़वाल ए मयार की
नज़रों से तो उतरा था, आज दिल से भी हटाया गया

ये पाक रिश्ता है,इसमें मतलब की कोई जगह नहीं
मुझे क्यों फिर दोस्ती पर वफाई की रुलाया गया
© char0302