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एक पाती माँ के नाम की
माँ क्या लिखूँ तेरे बारे में
तू है तभी तो मैं पूरी हूँ
बिन तेरे एहसास के माँ मैं अधूरी हूँ
तेरे सहारे बिन चल न पाती हूँ
हँसी ठिठोली की पात्र मैं बन जाती हूँ
तुझसे जब शिकायत करती हूँ
तू मुझे हिम्मत हौसला दे देती है
माँ ये दुनिया कहती है
तुझमें आगे बढ़ने की हिम्मत नहीं
अब उन्हें कैसे समझाऊँ
अपना राज़ कैसे बताऊँ
मेरी हिम्मत भी माँ मुझे हौसला
देने वाली भी माँ
बचपन से आज तक उसने ही तो
मुझे सम्भाला है
खुद अनपढ़ होकर भी
मुझे पढ़ाया है
इम्तहान मेरे होते थे
रात रात भर जागकर स्वेटर वो बुनकर
पढ़ाई की निगरानी वो रखती थी
कहीं सो न जाऊँ
मुझसे अधिक मेरे भविष्य की चिन्ता
तुम कर लेती थी
माँ एक बार फिर वो बचपन लौटा दो न
अपने आँचल के छाँव तले छिपा लो न माँ
देखो न माँ एक बार फिर
मातृ दिवस मनाया जा रहा
मां के सम्मान में
मातृ दिवस मनाया जा रहा
मैंने तो नित मातृ दिवस मनाया है
तुझबिन कोई दिवस भी तो नहीं
घड़ी का अलार्म भी बेकार है
नींद तो माँ की एक आवाज़ से ही खुलती है देखो न माँ आपकी बेटी
अब बड़ी हो गई
अपनी जिम्मेदारी खुद उठा लेती है
ये जिम्मेदारी उठाना भी तो आपने सिखाया है
अपनेआप से अलग कर
अपने पैरों पे खड़ा होना भी तो
आपने ही सिखाया है
पता है माँ अलग करके भी तू साया बन
हमेशा मेरे साथ साथ रहती है
तेरी इस अदृश्य शक्ति को मैं
हर पल महसूस कर लेती हूँ
माँ मैंने पहले कभी
माँ की परेशानियों पे
कभी गौर किया नहीं
तेरी परेशानियों को पहचाना नहीं
बस मन ही मन ये ही समझती रही
माँ तो भगवान का दूजा स्वरूप है
उसे कभी कोई परेशानी होती नहीं
बचपन में नादाँ नासमझ जो थी
अब जब माँ बनी तब मैंने जाना
तेरे उपकारों को मैंने पहचाना
अब जब यादों के झरोखे से
अपना बचपन देखती हूँ
तुझसे प्रेरणा ले आगे बढ़ती हूँ
माँ तेरी दी आँखों से ही
सँसार देखती हूँ
अपना अच्छा बुरा सोच आगे बढ़ती हूँ
देख न माँ ऊँगली आज भी तेरी पकड़
अपने आपको सुरक्षित महसूस करती हूँ
तेरे होने से ही तो घर घर लगता है
मेरे घर की रौनक भी तू
मेरे घर की शान भी तू
न जाने मुझे अब क्यों लग रहा
जैसे तू कह रही हो
कितना लिखेगी पगली
अब बस भी कर
अब बस भी कर
पता है मुझे भी बात जब माँ की हो
तब तू लिखते लिखते नहीं थकती है
देख रात बहुत हो गई चल अब सो जा
कल सुबह जल्दी उठ तुझे अपने प्रति
अपनी जिम्मेदारी भी तो उठानी है
जिम्मेदारी कैसी जिम्मेदारी माँ
सदैव अपने आपको खुश रखने की
सबकी जिम्मेदारी उठाती है
अपने प्रति ही जिम्मेदारी उठाना भूल जाती है
सही मायने में माँ बन गई
© Manju Pandey Choubey