...

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इक नज़र
जाने वाले से राब्ता रह जाए
घर की दीवार पर दिया रह जाए

इक नज़र जो भी देख ले तुझ को
वो तिरे ख़्वाब देखता रह जाए

इतनी गिर्हें लगी हैं इस दिल पर
कोई खोले तो खोलता रह जाए

कोई कमरे में आग तापता हो
कोई बारिश में भीगता रह जाए

नींद ऐसी कि रात कम पड़ जाए
ख़्वाब ऐसा कि मुँह खुला रह जाए

झील सैफ़-उल-मुलूक पर जाऊँ
और कमरे में कैमरा रह जाए
Tehzeeb Hafi
© 𐌼я. ∂ιϰιт