...

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तेरा मिलना
मिलकर मुझसे न जाने तूने;
ये क्या करामात किया है।
बनकर जिंदगी का रहबर तूने;
एक नया ख्वाब दिया है।।

तन्हाइयों के आलम में तूने;
जो मेरा हाथ थाम लिया है।
मुझसे मिलकर दिलबर तूने;
एक नया रिश्ता बांध लिया है।।

बुझे मेरे चिरागों को तूने;
एक नया आस दिया है।
बनकर मेरे हमराही तूने;
एक नया विश्वास दिया है।।

जा दिलरुबा तुझे अपना;
हमने सर्वस्व कुर्बां किया है।
अब ये दिल-दौलत-शोहरत भी अपना;
जा हमने तेरे नाम किया है।।

© राघव प्रताप वैष्णव