मौन यौवन
एक ही दिन की शोक सभा और एक ही दिन का सम्मान रहा
अगले दिन ही हर गाली का नारी से ही मान रहा
क्यों दुशःशान को दू मैं गाली सभा को क्यों डरपोक कहूं
मुख से...
अगले दिन ही हर गाली का नारी से ही मान रहा
क्यों दुशःशान को दू मैं गाली सभा को क्यों डरपोक कहूं
मुख से...