...

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"जिंदगी"
कहे अश्क इन आँखो से,
बरसू तो कितना बरसू।
ना तो मै बारिश हुँ ना तो झरने का पानी,
तेरी जिंदगी तो एक कटी पतंग है,
ना जाने कब हवा का झोंक आए,
ओर जिंदगी तेरी कांटो में उलझ जाए।।

कहे हंसी इन होंठो से,
हसु तो कैसे हंसु।
ना तो तेरी आंखे मुझे साथ देते,
ना तेरे चेहरे की रूहानी।
दिल में छूपा के दर्द सारा,
तकदीर से ना तू कर पाएगा मनमानी।।

कहे जिंदगी हरपल मुझसे,
डर डर के तू क्या जिएगा,
उठ बंदे तू कर सामना।
आया था खाली हात इस जहान में,
खोया भी तो तेरा क्या जाएगा।
जिंदगी ये तो बस मुट्ठी में फंसी रेत है।
जितना दबायेगा,
वक्त तेरे हिस्सेका फिसलता जायेगा ।।

© शिवाजी