मेरे लिखे मयखाने में
एक उम्र गुजर गई
ये पता लगाने में
एक घूंट भी बचा नहीं
मेरे लिखे मयखाने में
लिख लिख कर अपने
गानें बांटता रहा जमाने में
पर डर था उनको
मेरा नाम बताने में
तुम जो गाने सुनते हो
उनकी हकीकत पता नहीं
मेरा नाम ही छूपा गए वो
अब इसमें मेरी कोई खता नहीं
चाह कर भी मैं कुछ कह नहीं सकता
ये किस्सा बहुत पुराना है
पर्दे के पीछे मैं ही था
ये राज सबको बताना है
मेरे...
ये पता लगाने में
एक घूंट भी बचा नहीं
मेरे लिखे मयखाने में
लिख लिख कर अपने
गानें बांटता रहा जमाने में
पर डर था उनको
मेरा नाम बताने में
तुम जो गाने सुनते हो
उनकी हकीकत पता नहीं
मेरा नाम ही छूपा गए वो
अब इसमें मेरी कोई खता नहीं
चाह कर भी मैं कुछ कह नहीं सकता
ये किस्सा बहुत पुराना है
पर्दे के पीछे मैं ही था
ये राज सबको बताना है
मेरे...