...

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मेरी 'सबकुछ'
मेरी सबकुछ!
मैं तुमसे झूठ न कहूंगा,
पर हम दोनों दोषी हैं।

खैर! जो भी हुआ -
तुम किसी और के साथ हो,
और मैं भी किसी और के साथ।

पर अभी भी,
तुम्हारी याद आती है मुझे।
कभी ज्यादा,
तो कभी
कभी कभी।

प्यार था तुझसे, मैं सच कहता हूँ
पर अपने 'मोबाइल' जितना नहीं।

मैंने एक दिन दूर रख
देखा है इसे,
बड़ा बेचैन कर देता है।
© prabhat