...

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तलाश सुकून की
भटकर सुकून की.....तलाश मे....
तू ना अपना वक़्त बर्बाद कर,
सुख दुख तो है जीवन के...
दो अहम पहलू "
दुख मे भी सुकून की पहचान कर,,,,!!

चलता है...जो हर पल बस....
तेरे ही हिसाब से,
उस मन को ना हर घड़ी अशांत कर...
करके अपने भटके मन से बात "
हीरे की तरह तू उसकी तराश कर,,,,!!

गम बहुत होते हैं...इस जीवन मे....
इन बातों से ना खुद को,
तू कभी निराश कर....
जीना सीख ले कभी तो अपने भी दम पर "
दुनिया के लिए ना समय खराब कर,,,,!!

चाहता है जो तू...जीवन मे सुकून....
खुद पर ही फिर विश्वास कर,
अपना-पराया, दुःख-चिंता....
और तेरे मेरे के इन सभी झमेलों से "
अगर हो सके तो खुदको आजाद कर,,,,!!

जीवन में...पाने के लिए सुकून को...
अंधविश्वास में ना कभी विश्वास कर,
रहता है जो हर लम्हा...
तेरे लिए तुझमे ही कहीं मौजूद "
अपने साथ केवल उस ईश्वर से तू आस कर,,,,!!

डूब चुकी है...अगर तेरी कश्ती....
फिर से तू उस कश्ती में,
खुद को सवार कर.....
करके तलाश नई मंजिल की "
एक नए जीवन की तू शरुआत कर,,,,,!!


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