मुकद्दर,मुहब्बत,,मुश्किल,मुकद्दम,मुकम्मल
#माहौल
मुकद्दर सीयह-बख्त हो तो हर तमन्ना रकीब नजर आती है,,
कितना भी संभालो वक्त की दहलीज पर बिखर जाती है,,
मुहब्बत,,जीन्दगी के फलसफो को औ उलझा रही है,,
सारा जहाँ छोड़कर,,,मुफ्लीस के दिल में ठहर जाती है,,
मुश्किल है,,अवाम मे सुकून-ओ-अमन कायम करना,,
जब फसादो से मूल्क में नफरत की खंजर उतर जाती है,,
मुकद्दम होता है,,माँ का बच्चो से रीश्ता,,बशर,,
बच्चो के लिए,,,वालिदा कुछ भी कर गुजर जाती है,,
मुकम्मल होती है जीन्दगी,,गर किसी के काम आए ,,
साह-ए-खुदा के राह पर चलकर,,ये संवर जाती है,,
मुकद्दर सीयह-बख्त हो तो हर तमन्ना रकीब नजर आती है,,
कितना भी संभालो वक्त की दहलीज पर बिखर जाती है,,
मुहब्बत,,जीन्दगी के फलसफो को औ उलझा रही है,,
सारा जहाँ छोड़कर,,,मुफ्लीस के दिल में ठहर जाती है,,
मुश्किल है,,अवाम मे सुकून-ओ-अमन कायम करना,,
जब फसादो से मूल्क में नफरत की खंजर उतर जाती है,,
मुकद्दम होता है,,माँ का बच्चो से रीश्ता,,बशर,,
बच्चो के लिए,,,वालिदा कुछ भी कर गुजर जाती है,,
मुकम्मल होती है जीन्दगी,,गर किसी के काम आए ,,
साह-ए-खुदा के राह पर चलकर,,ये संवर जाती है,,