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आख़िरी सलाम 💐💐
जब वो मुझसे मिलने आया, कहने को आख़िरी अलविदा आया
अंतिम यात्रा पर जाने से पहले शायद बचे कुछ गिले करने आया
शिकायतें बहुत रही उसे मुझसे, शायद अंतिम बार बताने आया
आख़िरी बार आख़िरी समय मेरी ही शिकायत मुझसे करने आया
नम आँखें बोझिल साँसें झुकी कमर ऐसा ही कुछ ख़ुद को लाया
देख मुझे चुपचाप लेटे, कुछ सहमा डरा हुआ वो मेरी देहरी आया
आकर वो पास मेरे, मुँह छिपा अपने हाथों में फूट फूट कर रोया
कभी मुझसे लिपट कर, कभी ख़ुद में सिमट कर बेहताशा रोया
अंतर्मन अंतरात्मा शायद उसकी जाग चुकी थी बतलाने आया
बहुत ख़ताएँ की थी उसने, बता बता कर बैठ सिरहाने खूब रोया
कभी पेशानी को चूमा उसने कभी हाथों को मेरे प्यार से सहलाया
सोच रही हूँ, इतना प्यार तुम्हें मुझपर पहले कभी क्यों ना आया
देख नहीं सकती थी, लेकिन सामने अपने तुमको बिलखता पाया
अफ़सोस अब तो पंछी उड़ चला, नया चोला उसने अब है पाया
माँग ख़ुदा से थोड़ी मोहलत अभी उठ जाऊँ, मन में ख्याल आया
क्या कहती उससे, चुपचाप मेरा उसे एक आख़िरी सलाम आया
हाथ जोड़ विनती है तुमसे, आगे कभी ना मिलना, बहुत कष्ट पाया
अब और जीवन मत देना ख़ुदा, प्यार नहीं बस दुःख ही दुःख पाया
© सुधा सिंह 💐💐
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