...

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दिन बीत गए
जाने कितने दिन बीत गए
आए ना बलम मौरी गलिया

घबराए मन पगला मोरा
कही जाए ना मोहे बालम मोहे बिसरिया

हाए बलम कोन देस डाले हो डेरा
जाऊ तोहे ढूढ़न कैसे उस नगरिया

तक तक देखु चढ़ता सुरज
फिर रात ढलती मोर पिया
आए ना सूरत तोरी नज़रिया ,,

मे बिरहन की मारी
सूखे नयन नीर अब मोरे
एक तठ जमना
मे बेठू एक तठ फिर
बहाए निर सदियो से राधा जमना तीरे
© jitensoz