...

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बस खो डाला..
उन नन्हे हाथों पर बोझ रख डाला
रंगों के बदले ख्वाहिशों की डोर पकड़ा डाला
मासूमियत खो कर दुनियादारी करवा डाला
बचपन तो जीने नहीं दिया सीधे बड़ा बना डाला..

खुद को खोकर बस चुप होकर सुन रहा था वह
एक बार तो पूछ लेते...