बस खो डाला..
उन नन्हे हाथों पर बोझ रख डाला
रंगों के बदले ख्वाहिशों की डोर पकड़ा डाला
मासूमियत खो कर दुनियादारी करवा डाला
बचपन तो जीने नहीं दिया सीधे बड़ा बना डाला..
खुद को खोकर बस चुप होकर सुन रहा था वह
एक बार तो पूछ लेते क्या ख्वाब
पिरो रहा था वह
बस झूठी मुस्कान अपने चेहरे पर दिखा रहा था
उसके ख्वाबों को तो ख्वाहिशों ने मार डाला था..
खुद के होने का दुनिया को सबूत दे रहा था
इतनी भीड़ में भी खुद को अकेला पा रहा था
परखा तो बहुतों ने उसको
लेकिन समझ कोई नहीं पाया
उन आंखों ने सपने देखना छोड़ डाला
क्योंकि उसने अपना बचपन को डाला..
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रंगों के बदले ख्वाहिशों की डोर पकड़ा डाला
मासूमियत खो कर दुनियादारी करवा डाला
बचपन तो जीने नहीं दिया सीधे बड़ा बना डाला..
खुद को खोकर बस चुप होकर सुन रहा था वह
एक बार तो पूछ लेते क्या ख्वाब
पिरो रहा था वह
बस झूठी मुस्कान अपने चेहरे पर दिखा रहा था
उसके ख्वाबों को तो ख्वाहिशों ने मार डाला था..
खुद के होने का दुनिया को सबूत दे रहा था
इतनी भीड़ में भी खुद को अकेला पा रहा था
परखा तो बहुतों ने उसको
लेकिन समझ कोई नहीं पाया
उन आंखों ने सपने देखना छोड़ डाला
क्योंकि उसने अपना बचपन को डाला..
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