माँ का साथ
दुनिया मे जब आई थीं, तब सबसे हिचकिचाई थी।
मांँ तुमने गले लगाया, अपनेपन का पाठ पढाया।
माँ तुमने तो देखा होगा, यादों को समेटा होगा।
कमाल थे बचपन के वो ख्याब,जब थीं तुम हर वक्त़ साथ।
याद है मुझे तुम्हारी हर वो बात।
मेरी शैतानी,तुम्हारी डाँट।
मेरी नादानी, तुम्हारी पुच्कार।
हठ मेरी, समझदारी तुम्हारी।...
मांँ तुमने गले लगाया, अपनेपन का पाठ पढाया।
माँ तुमने तो देखा होगा, यादों को समेटा होगा।
कमाल थे बचपन के वो ख्याब,जब थीं तुम हर वक्त़ साथ।
याद है मुझे तुम्हारी हर वो बात।
मेरी शैतानी,तुम्हारी डाँट।
मेरी नादानी, तुम्हारी पुच्कार।
हठ मेरी, समझदारी तुम्हारी।...