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माँ का साथ
दुनिया मे जब आई थीं, तब सबसे हिचकिचाई थी।
मांँ तुमने गले लगाया, अपनेपन का पाठ पढाया।
माँ तुमने तो देखा होगा, यादों को समेटा होगा।
कमाल थे बचपन के वो ख्याब,जब थीं तुम हर वक्त़ साथ।
याद है मुझे तुम्हारी हर वो बात।
मेरी शैतानी,तुम्हारी डाँट।
मेरी नादानी, तुम्हारी पुच्कार।
हठ मेरी, समझदारी तुम्हारी।
याद है ,माँ मुझे तेरी हर वाणी।
फिर वक्त़ वो गुज़र गया।
बचपन झोंके मे चला गया।
आज मैं समझदार हूंँ,
पर सांय से तुम्हारे अनजान हूँ।
कहने को तो आज भी हम साथ है,
पर लोरी बिना, कहाँ शुभ ये रात है?
हम तब खुशनसीब थे, जिन लम्हों मे हम करीब थे।
वक्त़ अब वो आता नहीं, लोरी कोई सुनाता नहीं।
पर माँ तू तो जानकार है,आज भी हमारा वहीं प्यार हैं।
बस रूप उसका बदल गया,व्यस्तता मे वो उलझ गया।
रिया.....✍🏻✍🏻
#Maa#MaaKaSath
© Ria
मांँ तुमने गले लगाया, अपनेपन का पाठ पढाया।
माँ तुमने तो देखा होगा, यादों को समेटा होगा।
कमाल थे बचपन के वो ख्याब,जब थीं तुम हर वक्त़ साथ।
याद है मुझे तुम्हारी हर वो बात।
मेरी शैतानी,तुम्हारी डाँट।
मेरी नादानी, तुम्हारी पुच्कार।
हठ मेरी, समझदारी तुम्हारी।
याद है ,माँ मुझे तेरी हर वाणी।
फिर वक्त़ वो गुज़र गया।
बचपन झोंके मे चला गया।
आज मैं समझदार हूंँ,
पर सांय से तुम्हारे अनजान हूँ।
कहने को तो आज भी हम साथ है,
पर लोरी बिना, कहाँ शुभ ये रात है?
हम तब खुशनसीब थे, जिन लम्हों मे हम करीब थे।
वक्त़ अब वो आता नहीं, लोरी कोई सुनाता नहीं।
पर माँ तू तो जानकार है,आज भी हमारा वहीं प्यार हैं।
बस रूप उसका बदल गया,व्यस्तता मे वो उलझ गया।
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