...

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दरिया अब तेरी ख़ैर नहीं,
दरिया अब तेरी ख़ैर नहीं,
बूँदो ने बग़ावत कर ली है
नादां ना समझ रे बुज़दिल,
लहरों ने बग़ावत कर ली है,
हम परवाने हैं मौत समाँ,
मरने का किसको ख़ौफ़ यहाँ
रे तलवार तुझे झुकना होगा,
गर्दन ने बग़ावत कर ली है॥
© KAVED_SAVIOR