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मशहूर
उसने की गुज़ारिश और मैं दूर हो गया
गुमनाम होते होते यूं मशहूर हो गया
सुना है गुमशुदगी के इश्तेहार छपते हैं,
रोज़ अखबार पढने को मजबूर हो गया
चढ़ता नहीं नशा अब महंगी शराब से
पिया आँख का जो पानी तो सुरूर हो गया
वो क़त्ल भी कर जाएँ तो आवाज़ नहीं होती
हमने किया जो इश्क तो कुसूर हो गया
लगाते लगाते मरहम मर हम जायेंगे
वो घाव ना भरेगा जो नासूर हो गया
सुना है उनके लबों पर मेरा नाम आया है
नज़राना ख़ुदा को आज मंज़ूर हो गया
मैंने भी मारे थे पत्थर मजनूँ को देख कर
आज टूटा मेरा आईना चकना चूर हो गया
बना के उनको हकीम ले आओ मेरे घर
लोग कहते हैं ये चेहरा अब बेनूर हो गया
करते हैं गुफ्तगू बस अंगूठे ही आजकल
ज़माने का ये कैसा दस्तूर हो गया
जनाज़ों पर भी करता हूँ तेरी तस्वीर से बातें
सर पे सवार कैसा ये फितूर हो गया
औकात की बिसात बस वक़्त की है बात
ये मज़दूर हो गया वो हुज़ूर हो गया
झुक कर बड़े अदब से मिलता हूँ आजकल
लोग कहते हैं 'साहिल' मगरूर हो गया
© All Rights Reserved
गुमनाम होते होते यूं मशहूर हो गया
सुना है गुमशुदगी के इश्तेहार छपते हैं,
रोज़ अखबार पढने को मजबूर हो गया
चढ़ता नहीं नशा अब महंगी शराब से
पिया आँख का जो पानी तो सुरूर हो गया
वो क़त्ल भी कर जाएँ तो आवाज़ नहीं होती
हमने किया जो इश्क तो कुसूर हो गया
लगाते लगाते मरहम मर हम जायेंगे
वो घाव ना भरेगा जो नासूर हो गया
सुना है उनके लबों पर मेरा नाम आया है
नज़राना ख़ुदा को आज मंज़ूर हो गया
मैंने भी मारे थे पत्थर मजनूँ को देख कर
आज टूटा मेरा आईना चकना चूर हो गया
बना के उनको हकीम ले आओ मेरे घर
लोग कहते हैं ये चेहरा अब बेनूर हो गया
करते हैं गुफ्तगू बस अंगूठे ही आजकल
ज़माने का ये कैसा दस्तूर हो गया
जनाज़ों पर भी करता हूँ तेरी तस्वीर से बातें
सर पे सवार कैसा ये फितूर हो गया
औकात की बिसात बस वक़्त की है बात
ये मज़दूर हो गया वो हुज़ूर हो गया
झुक कर बड़े अदब से मिलता हूँ आजकल
लोग कहते हैं 'साहिल' मगरूर हो गया
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