...

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रहबर..


पीड़ाओ में भी साथ है कोई,
सुकून है तू , तू ही रहबर।
अंतरआत्मा की आवाज तू ,
तू ही मेरे प्राण, मेरे नटवर ।।

घूमूँ गलियां, घूमूँ वन - वन,
घूमूँ मैं अब संपर्ण वृंदावन।...