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मुझको इस हाल ही में जीना है!
मुझको इस हाल ही में जीना है,
क्या कहा खून ए जिगर पीना है!
दिल का फोड़ा जो बन गया नासूर,
रफ़्ता- रफ़्ता ही सही सीना है!
क्यूँ न इतराऊँ ज़ात पर अपनी,
साथ मे मेरे अब हसीना है!
याद आने पे आ गया है जो,
कुछ नही आँख में पसीना है!
या खुदा रात भर भरम रख ले,
फिर वोई याद वोई सीना है!
ऐसे जीने पे सौ दफ़ा लानत,
ऐसा जीना भी कोई जीना है!
मरने के बाद जी रहा 'योगी',
वाकई सब्र का सफ़ीना है!
ꪗꪮᧁ𝓲..
क्या कहा खून ए जिगर पीना है!
दिल का फोड़ा जो बन गया नासूर,
रफ़्ता- रफ़्ता ही सही सीना है!
क्यूँ न इतराऊँ ज़ात पर अपनी,
साथ मे मेरे अब हसीना है!
याद आने पे आ गया है जो,
कुछ नही आँख में पसीना है!
या खुदा रात भर भरम रख ले,
फिर वोई याद वोई सीना है!
ऐसे जीने पे सौ दफ़ा लानत,
ऐसा जीना भी कोई जीना है!
मरने के बाद जी रहा 'योगी',
वाकई सब्र का सफ़ीना है!
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