शायरा हूं जनाब !
दबे दिल के जज्बात उमड़ पड़ते हैं,
कलम को देखकर आहें भरते हैं।।
हर दिन लिखते हैं, हर दिन महसूस करते हैं,
अगली सुबह नये जज्बात जगते हैं।।
कलम से खेलने का जुनून रखते हैं,
हम शायरों से तालुकात रखते हैं।।
दिल के जज्बातों को लबों तक लाते हैं,
कलम तक आते ही खामोश हो जाते हैं।।
जितना लिखते हैं कम पड़...
कलम को देखकर आहें भरते हैं।।
हर दिन लिखते हैं, हर दिन महसूस करते हैं,
अगली सुबह नये जज्बात जगते हैं।।
कलम से खेलने का जुनून रखते हैं,
हम शायरों से तालुकात रखते हैं।।
दिल के जज्बातों को लबों तक लाते हैं,
कलम तक आते ही खामोश हो जाते हैं।।
जितना लिखते हैं कम पड़...