...

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मेरे शब्द
मेरे शब्दों को समझने के लिए

ख़ुद से भी ना कह सका जो कभी
आज उन्हीं अल्फ़ाज़ों को दोहराता हूँ,
तन्हाई में जिन लब्ज़ों से डरता था
तुझको बतलाने के लिए उन्हें ही परोस रहा हूँ,
पन्नों पर...