...

9 views

परित्याग
हे प्रिय, क्यों न मैं तुम्हारा परित्याग करूं
क्यों तुम्हारा सांझ ढले, रोज़ इंतज़ार करूं,

किसने हक़ दिया तुम्हें, मुझे उलाहना दो
अनगिनत अपमान को क्यों मैं सहन करूं,

तुम तिरस्कार और मैं हर पल...