एक छल ऐसा भी
एक छल ऐसा भी
क्यो
वो किसी और की बेटी थी
देह बचा है की इंसानियत भूल चुके
की मानवता को ताड़ ताड़ होने में खुशी होती है
एक छल ऐसा भी
वो किसी और की बहन थी
क्यो
देह बचा है की इंसानियत भूल चुके
की...
क्यो
वो किसी और की बेटी थी
देह बचा है की इंसानियत भूल चुके
की मानवता को ताड़ ताड़ होने में खुशी होती है
एक छल ऐसा भी
वो किसी और की बहन थी
क्यो
देह बचा है की इंसानियत भूल चुके
की...