...

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विश्वासघात...
क्या कसूर था उस मासूम का,
बस इतना ही कि तुम पर विश्वास किया,
फल में पटाखे भरकर जो तुमने उसे खिला दिया,
बेरहमी से उसे मारकर उसका यह अंतिम साल बना दिया।।

मनुष्य पर विश्वास कर उसने वह फल खा लिया,
पर तुमने विश्वास घात कर उसे जनत में पहुचा दिया।
उस नन्ही सी जान की तुमने जरा सी परवाह ना कि,
उस असहाय और बेजुबान हथनी की तुमने जान लेली।।

वह बेजुबान थी मगर उसके ईश्वर ने सब जान लिया,
उसकी प्रार्थना में वह पीड़ा को उन्होंने भांप दिया।
अब ऐसा समय आएगा जब वह...