...

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चांद से मेरी अलग ही यारी है।
दिल में ये कैसी बे-क़रारी है।
कट रही ये ज़िंदगी हमारी है।

लिखा है बिछड़ना नसीब में!
दिल को समझाना जारी है।

इश्क़ करना ज़रूरी है मगर!
पहले घर की भी ज़िमेदारी है।

प्यार है बहुत ज़िंदगी से मुझे!
पर तू ज़िंदगी से भी प्यारी है।

चांद देखता हूं मैं तस्वीरों में!
चांद से मेरी अलग ही यारी है।

सारा शहर सो रहा है महज़।
मगर मेरे जागने की बारी है।
© महज़