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आशा के नए पंख : सकारात्मकता ( जीवन का ध्येय )
जीवन एक रंगमंच है जहाँ सुख और दुख किसी नाटक के पात्र हैं। जीवन की
रागिनी कभी हर्ष के झंकार सें गुंजित होती है तो कभी निराशा के स्वरों में डूब
जाती है। कभी खुशियों की तालियाँ गूंजती हैं तो कभी दुखों के स्वर गूंजते हैं।
जीवनरूपी नाटक में एक अनघड़ पात्र भी है - सकारात्मकता (Positivity)
जिसकी आवश्यकता अक्सर हमें दुख़ों में होती है।
मित्रों सकारात्मकता न कोई जादू है न हीं चमत्कार। यह अनमोल रत्न तो
हमारें विचारों में निहीत होता है बस इसे पहचानने एवं परखने की आवश्यकता है।
सकारात्मकता चंदन की धूप के समान है जो हमारे मन-मस्तिष्क , देह-काया
के कण कण में समाकर हमारे जीवन को महका देती है। यह वसंत की पहली
फुहार है जो निराशा के पुराने पत्तों को धोकर आशा के नए पत्तों को जन्म देती
है।
मित्रों सोचिए जीवन कितना नीरस होगा गर जीवन में चुनौती ही न हों। ये
चुनौतियाँ ही तो हमें कुछ नया सिखाती हैं । कठिनाईयां तो जीवन काव्य
का एक स्वर हैं जो हमें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। किन्तु इन
चुनौतियों...