ग़ज़ल
ख़ुद सबूत आ कर गवाही दे रहे हैं
फ़िर भी वे झूठी सफाई दे रहे हैं
जनवरी भर बर्फ में मुझको रखा था
जून आने पर रज़ाई दे रहे हैं
फूल अपने पास आई तितलियों को
अपने रस से आशनाई दे रहे हैं
हाँ हमारे पास वो सोफ़ा...
फ़िर भी वे झूठी सफाई दे रहे हैं
जनवरी भर बर्फ में मुझको रखा था
जून आने पर रज़ाई दे रहे हैं
फूल अपने पास आई तितलियों को
अपने रस से आशनाई दे रहे हैं
हाँ हमारे पास वो सोफ़ा...