...

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ग़ज़ल
ख़ुद सबूत आ कर गवाही दे रहे हैं
फ़िर भी वे झूठी सफाई दे रहे हैं

जनवरी भर बर्फ में मुझको रखा था
जून आने पर रज़ाई दे रहे हैं

फूल अपने पास आई तितलियों को
अपने रस से आशनाई दे रहे हैं

हाँ हमारे पास वो सोफ़ा नहीं पर
बैठिए हम चारपाई दे रहे हैं

डालियों पे फल अभी आए नहीं और
हाथ में पत्थर दिखाई दे रहे हैं

सिर्फ़ ग़ज़लें ही नहीं सौंपी तुम्हें 'शम्स'
अपने जीवन की कमाई दे रहे हैं


बह्र : 2122/2122/2122

हम सब yq पर दोबारा शिफ्ट हो रहे हैं,
अतः अब यहाँ कम एक्टिव रहूंगा,
आप सबके साथ दो माह का यह छोटा सा सफ़र बहुत खूबसूरत रहा🤗🤗

#shayri #ghazal
© 'शम्स'