...

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ये और बात है....!
जुदा हुये थे कभी हम मगर अभी तो साथ हैं,
गुज़र गई है जो रात वो अब गुज़री बात है!

ढूंडते ढूंडते थक गई हैं ये आँखें तुझको,
तू मेरे साथ था ये और बात है!

कैंसे कह दूँ कि दर्द नहीं है कोई दिल मे मेरे,
चेहरे पर जो मुस्कुराहट है ये और बात है!

क्या बिगाड़ेंगे दुश्मन मेरा तेरे होते हुये,
तू ही हो गर उनका रफीक़ तो ये और बात है!

सारी अच्छाईयाँ हैं मन्सूब तुझसे मेरे यार,
हम से ही हो खता गर तो ये और बात है!

कैसे करूं बयां अपनी खुशी को मेैं,
हम मिल कर करें बयां तो ये और बात है!
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© alfaaz-e-aas