...

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कुछ दिनों से आपको देखा नहीं।
कुछ दिनों से आपको देखा नही,
देखने को आँख था तरसा हुआ ।
चार छे दिन ही की तो बस बात है,
जाने फिर भी लग रहा अरसा हुआ।

कुछ दिनों से आपको देखा नही,
देखने को आँख था तरसा हुआ ।

आज आया हूँ तो जी भर देख लूँ
देखकर मुखड़ा ये आँखें सेंक लूँ।
क्या भड़ोसा कल का,जाने कब मिलें,
कल किसी ने आज तक देखा है क्या?

कुछ दिनों से आपको देखा नही,
देखने को आँख था तरसा हुआ ।

आज जो देखा तो मैं भी खिल गया,
जैसे हो कोई खजाना मिल गया।
दूर जब से हो गया मैं आपसे,
मैं बिरह में सूखकर काँटा हुआ।

कुछ दिनों से आपको देखा नही,
देखने को आँख था तरसा हुआ ।

दूर जाकर याद आती है बहुत,
साथ रहते तो झगड़ते खूब हैँ।
साथ रहकर तो लड़ाई की बहुत,
प्यार लेकिन आपसी न कम हुआ।

कुछ दिनों से आपको देखा नही,
देखने को आँख था तरसा हुआ ।

छुप छुपाकर हो गया मिलना बहुत
आपको लेकर ही अबकी जाऊंगा।
एक अंतिम बार जाने दो मुझे
अबकी मैं बारात लेकर आऊंगा।

कुछ दिनों से आपको देखा नही,
देखने को आँख था तरसा हुआ ।
-कौशल किशोर सिंह


© Kaushal