...

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मैं अगर सोचूं
मैं अगर लिखू तो कोइ समझेगा ? के नहीं,
अगर मै चाहूँ किसीको वो मुझें चाहेंगा की नहीं,
वो मुझें चाहें इसके बारे मे सोचूं की नहीं,
दिल मे फ़िर खयाल आता है की लिखू की नहीं,
इस नहीं के चकर मैं किसी को वो बात बताऊँ के नहीं,
हा लेकिन एक दिन ज़रुर आएंगा मैं हर बात एक शख़्स को बताऊँगा और कहीं ना कही रुक जाऊंगा ,
अगर निंद आई अच्छी तो किसी की गोद मैं ही सो जाऊंगा,
और एक बात मैं तुम्हें चाहता हूं की मैं तुम्हें चाहता हु ऐ ज़रुर कहूंगा,
जब वो शख़्स मेरे पास होंगा
और उसको भी ये खयाल होंगा .
© Abhi_2244