नमन वंदनवार सब करते चलो
#दिनांक:-22/6/2024
#शीर्षक:-नमन-वंदन सब करते चलो।
जीने के कुछ उसूल भी जरूरी हैं,
उम्मीदें कहाँ सबकी यहां पूरी हैं?
चारों तरफ उठता शोर अपनों का है,
अपनों में ढूंढना अपनापन मजबूरी है।
तल्लीनता से जीवन जीने का सलीका,
दूसरे के मथ्थे देते गलतियों का ठीका।
दामन उम्मीद का कब तक कोई थामें?...
#शीर्षक:-नमन-वंदन सब करते चलो।
जीने के कुछ उसूल भी जरूरी हैं,
उम्मीदें कहाँ सबकी यहां पूरी हैं?
चारों तरफ उठता शोर अपनों का है,
अपनों में ढूंढना अपनापन मजबूरी है।
तल्लीनता से जीवन जीने का सलीका,
दूसरे के मथ्थे देते गलतियों का ठीका।
दामन उम्मीद का कब तक कोई थामें?...