...

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"अधुरी ख्वाहिश"
न तख्त की ख्वाहिश थी,
न कब्र की शिकायत थी।
आरजू थी तो बस एक मोहलत मिले,
तेरे साथ के ओ मेरे दो पल बिताने की।
थे तो तुम कहनेको,
हर पल मेरे करीब।
पर साथ होकर भी,
हम...