ग़ज़ल
शुभ संध्या मित्रों।
प्रेम मैं मत लीजिये, मशवरा उनका।
प्रेमिकाओं कों पत्नियां बना बैठे हैं जो।।
हिजाब मर्दों कों दो, और चश्मे औरतों कों।
नकाब कमी ओढे, चश्मा नमी ओढे।।
बुराईयों ने...
प्रेम मैं मत लीजिये, मशवरा उनका।
प्रेमिकाओं कों पत्नियां बना बैठे हैं जो।।
हिजाब मर्दों कों दो, और चश्मे औरतों कों।
नकाब कमी ओढे, चश्मा नमी ओढे।।
बुराईयों ने...