...

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प्रेम
क्या आप प्रेम तलाशते है ?
क्या आप प्रेम चाहते है ?

तो क्या,
आप स्वयं में प्रेम स्वीकारते है ?
आप प्रेम पनपने देते है ?
आप प्रेम का सम्मान करते है ?

तो क्या,
आप भावनाओं का अपमान नही करते ?
आप भावनाओं को पनपने देते है ?
आप भावनाओं की सूक्ष्म अभिव्यक्ति को स्वीकार करते है ?

तो क्या,
आप समाज और व्यवहारिकता के नाम पर भावनाओं का कत्ल नही करते ?
आप भावनाओं की अभिव्यक्ति करने वाले का अपमान नही करते ?
आप भावनाओं को कमजोरी कहकर दरकिनार नही करते ?

अगर आप नही स्वीकार करते
भावनाओं की सूक्ष्म अभिव्यक्ति को,
तो आप प्रेम नही कर सकते,
ना स्वयं के भीतर
ना बाहरी समाज में

अगर आप प्रेम नही कर सकते
तो आप प्रेम नही पा सकते

भावनाओं की सूक्ष्म अभिव्यक्ति ही
उच्चतम अभिव्यक्ति तक ले जा सकती
जो प्रेम है




© @nn